Namami shamishan lyrics | Shiva sanskrit mantra | शिव रुद्राष्टकम

Namami shamishan lyrics | Shiva sanskrit mantra | शिव रुद्राष्टकम

Namami shamishan lyrics | Shiva sanskrit mantra | शिव रुद्राष्टकम

||श्री शिव रुद्राष्टकम||

नमामीशमीशान निर्वाणरूपम् |
विभुम् व्यापकम् ब्रह्मवेदस्वरूपम् ||

निजम् निर्गुणम् निर्विकल्पम् निरीहम् |
चिदाकाशमाकाशवासम् भजेऽहम् ||1

अर्थ

  • मैं उन भगवान शिव को नमन करता हूँ, जो सबके ईश्वर और मोक्ष स्वरूप हैं।
    वे सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापक, ब्रह्म और वेदों के स्वरूप हैं।
    वे स्वयं में स्थित, गुणों से परे, विकल्परहित, और इच्छारहित हैं।
    वे चेतना के आकाश में सर्वव्यापक हैं और आकाश में निवास करते हैं ।
    ऐसे शिव की मैं भक्ति करता हूँ।

 

निराकारमोंकारमूलम् तुरीयम्|
गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम्।|

करालं महाकालकालं कृपालं
गुणागारसंसारपारं नतोऽहम्॥2

अर्थ

  • जो निराकार हैं, ओंकार ॐ से उत्पन्न हैं,
    वाणी और ज्ञान से परे हैं, पर्वतराज के स्वामी हैं,
    जो भयानक हैं, महाकाल के भी काल हैं, दयालु हैं,
    गुणों के भंडार और संसार के पार हैं, ऐसे शिव जी को मैं नमन करता हूँ।

 

तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभीरं|
मनोभूतकोटिप्रभाश्रीशरीरम्।|

स्फुरन्मौलिकल्लोलिनीचारुगङ्गा|
लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा॥3

अर्थ

  • जो हिमालय पर्वत के समान गौरवर्ण और गंभीर हैं,
    शिव जी के शरीर करोड़ों कामदेवों के तेज से भी अधिक तेजस्वी है,
    जिनके सिर पर सुंदर गंगा लहराती है,
    मस्तक पर अर्धचंद्र सुशोभित है,
    और गले में सर्प सुशोभित है,
    ऐसे भगवान शिव को मैं नमन करता हूँ।

 

चलत्कुण्डलं भू सुनेत्रं विशालं|
प्रसंन्नाननं नीलकण्ठं दयालम्।

मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं
प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि॥4

अर्थ
  • जिनके कानों में कुण्डल हैं,
    तीन नेत्र हैं, विशाल स्वरूप है,
    प्रसन्न मुख है, नीला कंठ है, दयालु हैं,
    जो मृगचर्म पहनते हैं, मुण्डमाला धारण करते हैं,
    ऐसे प्रिय, कल्याणकारी, सबके स्वामी भगवान शंकर की मैं भक्ति करता हूँ।

 

प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं|
अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशम्।
त्रयः शूलनिर्मूलनं शूलपाणिं
भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम्॥5

अर्थ

  • अत्यंत प्रचंड, उत्कृष्ट, साहसी और परमेश्वर हैं,
    अखंड, अजन्मा और करोड़ों सूर्यों के समान तेजस्वी हैं,
    तीनों प्रकार के दुःखों का नाश करने वाले, त्रिशूलधारी हैं,
    जो पार्वती के पति हैं और भक्ति से प्राप्त किए जा सकते हैं,
    ऐसे भगवान शिव की मैं भक्ति करता हूँ।

 

कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी|
सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी।|

चिदानन्दसन्दोह मोहापहारी|
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी॥6

अर्थ

  • जो सभी कलाओं से परे, कल्याणकारी, कल्प के अंत में संहार करने वाले हैं,
    सदैव सज्जनों को आनंद देने वाले, त्रिपुरासुर का संहार करने वाले हैं,
    जो चेतना और आनंद के समूह स्वरूप हैं, अज्ञान का नाश करते हैं,
    हे कामदेव का नाश करने वाले मुझ पर कृपा करो, कृपा करो।

 

न यावद् उमानाथपदार विन्दम्|
भजन्तीह लोके परे वा नराणाम्।|

न तावत् सुखं शान्ति सन्तापनाशं|
प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासम्॥7

अर्थ

जब तक मनुष्य इस लोक या परलोक में
उमा के पति भगवान शिव के चरण कमलों का भजन नहीं करते,
तब तक उन्हें न तो सुख, न शांति, और न ही उनके संतापों का नाश होता है।
हे प्रभु हे सर्वभूतों में निवास करने वाले कृपा करें।

 

न जानामि योगं जपं नैव पूजां|
नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यम्।|
जराजन्मदुःखौघतातप्यमानं|
प्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भो॥8

अर्थ

  • मुझे न योग आता है, न जप, न पूजा।
    मैं तो सदा सर्वदा आपको ही नमन करता हूँ, हे शंभु |
    मैं बुढ़ापे और जन्म के दुखों से पीड़ित हूँ।
    हे प्रभु! हे शंभु! संकट में पड़े हुए मुझ पर कृपा कर रक्षा करो।

 

रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये|
ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति॥

अर्थ

अंतिम श्लोक में गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि यह रुद्राष्टक स्तोत्र उन्होंने भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए रचा है।
जो भी व्यक्ति श्रद्धा और भक्ति से इसका पाठ करता है, उन पर भगवान शिव अवश्य प्रसन्न होते हैं और महादेव की कृपा होती है।

Namami shamishan lyrics | Shiva sanskrit mantra | शिव रुद्राष्टकम

सांभ सदा शिव हर हर महादेव
जय शिव शंभू ॐ नमः शिवाय

  • रुद्राष्टकम् का पाठ गुप्त व प्रकट शत्रुओं से रक्षा करता है और जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करता है। यह स्तोत्र एक शक्तिशाली सुरक्षा कवच का कार्य करता है, विशेषकर कठिन समय में।
  • रुद्राष्टकम् के पाठ से आत्मविश्वास और मनोबल में वृद्धि होती है, जिससे जीवन में उत्साह और सकारात्मक ऊर्जा आती है।
  • शिव रुद्राष्टकम् का पाठ करने से आरोग्य, सुख-समृद्धि और ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव से मुक्ति मिलती है। यह जीवन में सौभाग्य और खुशहाली लाता है।
  • रुद्राष्टकम् का पाठ सोमवार, प्रदोष या शिवरात्रि के दिन विशेष फलदायी माना गया है।
    इसे शिवलिंग के सामने या घर के मंदिर में शांत चित्त होकर पढ़ना चाहिए।
    सात दिनों तक लगातार पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है।

महादेव शिव जी के भजन

शिव तांडव

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