Lyrics of narayana stotram | नारायण स्तोत्रम् | नारायण स्तोत्रम् अर्थ सहित
||नारायण स्तोत्रम्||
नारायण नारायण जय गोविंद हरे।
नारायण नारायण जय गोपाल हरे॥
|| करुणा पारावार वरुणालय गंभीर नारायण ||१
भावार्थ
हे नारायण आप करुणा के अथाह सागर हैं, वरुण के निवास स्थान के स्वामी हैं, और गंभीरता में भी समुद्र के समान हैं।
|| घरनीरदसङ्काश कृतकालिकल्मषनाशन नारायण ||२
भावार्थ
हे नारायण आप घने मेघ के समान श्यामवर्ण हैं और कलियुग के पापों का नाश करने वाले हैं।
|| यमुनातीर विहार धृतकौस्तुभमणिहार नारायण ||३
भावार्थ
हे नारायण आप यमुना के तट पर विहार करने वाले हैं और आपने अपने वक्षस्थल पर कौस्तुभ मणि का दिव्य हार धारण किया हुआ है। मैं आपको नमन करता हूँ।
|| पीताम्बर परिधान सुरकल्याण निधान नारायण ||४
भावार्थ
हे नारायण आप पीले रंग का दिव्य वस्त्र धारण करने वाले हैं और समस्त देवताओं के कल्याण के आधार हैं। मैं आपको नमन करता हूँ।
|| मंजुल गुंजाभूषा मायामानुषवेषा नारायण ||५
भावार्थ
हे नारायण आप सुंदर हैं, लाल-काले बीजों की माला से अलंकृत हैं, और माया से मनुष्य का वेश (मायामानुषवेषा) धारण किए हुए हैं।
|| राधाधरमधुरसिका रजनीकरकुलतिलका नारायण॥६
भावार्थ
हे नारायण आप राधा के अधरों के मधुर रस के रसिक हैं और चंद्रमा के कुल के तिलक अर्थात् अत्यंत शोभायमान हैं।
|| मुरलीगांविनोद वेदस्तुतभुपद नारायण ||७
भावार्थ
भगवान श्रीकृष्ण (नारायण) की स्तुति है, जो बांसुरी बजाकर ग्वाल-बालों के साथ आनंद करते हैं, वेदों द्वारा जिनकी महिमा गाई गई है और जो पृथ्वी के स्वामी हैं।
|| वृजभूषाभरण राजीव अरुक्मिनि-रमन नारायण ||८
भावार्थ
हे नारायण आप व्रजभूमि के अलंकार हैं, कमल के समान सुंदर हैं, और रुक्मिणी के प्रिय हैं।
|| जलरुड़लानिभिनेत्र जगदारंभकासूत्र नारायण ||९
भावार्थ
हे नारायण आपकी आंखें जल में खिले कमल के समान सुंदर हैं और आप समस्त जगत की उत्पत्ति के मूल कारण हैं।
|| पटकराजानिसंकर करुणामय मामुद्धार नारायण ||१०
हे करुणामय नारायण! आप शत्रुओं का नाश करने वाले हैं, आपके हाथ में दिव्य शस्त्र है। कृपया मुझे इस संसार-सागर से उद्धार कीजिए।
|| अघ बकहयकंसारे केशव कृष्ण मुरारे नारायण ||११
भावार्थ
हे नारायण आप अघासुर, बकासुर, हय (केशी), कंस, मुर आदि राक्षसों का संहार करने वाले, केशव, कृष्ण, मुरारे हैं।
|| हटकानीभीपाटम्बर अभयं कुरु मे मावर नारायण ||१२
भावार्थ
हे नारायण अपने दिव्य हाथों और भयहरण स्वरूप से मुझे अभय और वरदान दीजिए।
|| दशरथ-राजकुमार दानव-मद-संहार नारायण ॥१३
भावार्थ
हे नारायण आप राजा दशरथ के पुत्र के रूप में अवतार लेकर राक्षसों के अभिमान और अहंकार का नाश करने वाले हैं। मैं आपको नमन करता हूँ।
|| गोवर्धनधराधार गोकुलत्राणकारक।
विष्णुबाहुकृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव॥ १४
भावार्थ
हे श्रीकृष्ण आप गोवर्धन पर्वत को अपनी भुजा पर धारण करने वाले, गोकुलवासियों के रक्षक, असंख्य गौओं के स्वामी और विष्णु के अवतार हैं, आप मुझे कृपा दें, मेरी रक्षा करें
|| सरयुतीर विहार जनकसुता प्रियकार नारायण ||१५
भावार्थ
हे नारायण आप सरयू नदी के तट पर विहार करने वाले हैं और सीता जी के प्रिय हैं।
|| विश्वामित्रमखत्राता हरदशरथसुतदाता नारायण ||१६
भावार्थ
हे नारायण आप विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा करने वाले हैं और शिव को दशरथ पुत्र (राम) का दान देने वाले हैं।
|| ध्वजंजरंकुशपाद धरनीसुत सहमोद नारायण ||१७
भावार्थ
हे नारायण आपके ध्वज पर हनुमान विराजमान हैं, आपके चरण अंकुश के समान प्रभावशाली हैं, और आप हनुमान के साथ सदा आनंदित रहते हैं।
|| जनकसुताप्रतिपाला जय जय संसृतिलीला नारायण ||१८
भावार्थ
हे नारायण आप जनकसुता (सीता जी) के रक्षक एवं पालनकर्ता हैं, आपकी संसार में विविध लीलाओं की जय हो।
|| दशरथवाग्धृतिभार दण्डक वनसञ्चार नारायण॥ १९
भावार्थ
हे नारायण आपने अपने पिता दशरथ के वचन का पालन करने का दायित्व उठाया और दण्डकारण्य वन में निवास किया।
|| मुष्टि कचनरसन्हार मुनीमांसविहार नारायण ||२०
भावार्थ
हे नारायण आप अपनी शक्ति से कचनर के कांटों का संहार करते हैं और तपस्वी मुनियों के साथ विचरण करते हैं।
|| वालिविनिग्रहशौर्य वरसुग्रीवहितार्य नारायण॥२१
भावार्थ
हे नारायण आपने अपने शौर्य से वालि का वध किया और सुग्रीव का कल्याण किया।
|| मां मुरलीकर धीवर पालय पालय श्रीधर नारायण ||२२
भावार्थ
हे श्रीधर नारायण मुरलीधर (कृष्ण रूप) होकर मेरी रक्षा कीजिए, मेरी रक्षा कीजिए।
|| जलनिधिबंधनधीर रावणकंठविदारण नारायण ||२३
भावार्थ
हे नारायण आप समुद्र पर सेतु बांधने वाले, धैर्य और पराक्रम के धनी, तथा रावण का वध करने वाले हैं।
|| ताटकमर्दन राम नटगुणविविध सुराम नारायण॥२४
भावार्थ
हे नारायण आप ताड़का का वध करने वाले, श्रीराम हैं, विविध लीलाओं से युक्त और देवताओं के प्रिय हैं।
|| गौतमपत्नीपूजन करुणाधानावलोकन नारायण ||२५
भावार्थ
हे नारायणआप करुणा के सागर हैं, जिन्होंने गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या का उद्धार किया।
|| संभ्रमसीतहार सकतपुर विहार नारायण ||२६
भावार्थ
हे नारायण सीता हरण के समय आपने जो व्याकुलता अनुभव की, और फिर लंका में आपने जो विजय यात्रा किया, उसका स्मरण है।
|| अचलोद्धृताचांचातकर भक्ता नुग्रहतत्पर नारायण ||२७
भावार्थ
हे नारायण आपने अपने हाथ में गोवर्धन पर्वत को उठा लिया और अपने भक्तों की रक्षा तथा उन पर कृपा करने के लिए सदा तत्पर रहते हैं।
|| नैगमगानविनोद रक्षित सुप्रह्लाद नारायण॥२८
भावार्थ
हे नारायण आप वेदों के गायन का आनंद लेने वाले और अपने भक्त सुप्रहलाद की रक्षा करने वाले हैं।
नारायण नारायण जय गोविंद हरे।
नारायण नारायण जय गोपाल हरे॥
Lyrics of narayana stotram | नारायण स्तोत्रम् | नारायण स्तोत्रम् अर्थ सहित
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः