Hindu religious mantra | हिन्दू धर्म के संस्कृत मंत्र | श्लोक Mantra

दैनिक जीवन में संस्कृत श्लोकों का अभ्यास मानसिक शांति, प्रेरणा, नैतिकता, आध्यात्मिक उन्नति को बढ़ावा देता है। ये श्लोक और मंत्र व्यक्ति को कर्मयोग, धैर्य, संयम, और संतोष की शिक्षा देते हुए जीवन को सफल और सुखी बनाते हैं, सुबह उठने के बाद कुछ मंत्रो का जप जरूर करना चाहिए 

Hindu religious mantra | हिन्दू धर्म के संस्कृत मंत्र | श्लोक Mantra

कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती |
करमूले तू गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम् ||

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं |
 भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात् ||

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहरम् |
सदा वसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि ||

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |  
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय ममृतात् ||  

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ |
निर्विध्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ||

ॐ असतो मा सद्गमय |  तमसो मा ज्योतिर्गमय ||
मृर्त्योर्मा अमृतं गमय | ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ||

सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके |
शरण्ये त्र्यंबके गौरि  नारायणि नमोस्तुते ||

वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम् |
देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम ||

त्वमेव माता च पिता त्वमेव त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव |
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव त्वमेव सर्वं मम देवदेव ||

गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः |
गुरु: साक्षात् परं ब्रह्मा तस्मै श्री गुरूवेनमः ||

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे |
सहस्त्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ||

ॐ जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी |
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते ||

ॐ महालक्ष्मयै च विद्धमाहे सर्वशक्तौ च धीमहे |
     तन्नो देवी प्रचोदयात् ||

परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृतम् ||
धर्म संस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ||

लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम् |
कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये ||

ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने ||
प्रणतः क्लेशनशाय गोविन्दाय नमो नमः ||

समुद्रवसने देवी पर्वतस्तनमण्डिते |
विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्वमे ||

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन |
मा कर्मफलहेतु र्भूर्मा ते संगोस्त्वकर्मणि ||

मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः |
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय  तनो हरिः ||

ॐ नमस्ते परमं ब्रह्मा, नमस्ते परमात्मने |
निर्गुणाय नमस्तुभ्यं सदुयाय नमो नमः ||

ॐ सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरुपिणि |
विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु में सदा ||

श्री रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे |
रघुनाथाय नाथाय सीताया पतये नमः ||

मनोजवं मारुततुल्यम वेगम् जितेन्दिरयं  बुद्धिमतां वरिष्ठम् |
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्री रामदूतं शरणं प्रपद्ये ||

ॐ भास्कराय विधमहे दिवाकराय धीमहि
तन्नोः सूर्यः प्रचोदयात् ॐ नमो नमः ||

या देवी सर्वभूतेषु माँतु रूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै  नमो नमः ||

या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै  नमो नमः ||

या देवी सर्वभूतेषु विद्या रूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै  नमो नमः ||

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी रूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै  नमो नमः ||

एकदंताय विद्यहे वक्रतुण्डाय धीमहि |
तन्नो दंती प्रचोदयात् ||

नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः |
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ||

सुखदुःखे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ |
ततो युद्धाय युज्यस्व नैवं पापमवाप्स्यसि ||

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते | रमंते तत्र देवताः || 

  • संस्कृत मंत्र और श्लोक का जीवन में गहरा और सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इनके नियमित जाप, स्मरण और अध्ययन से व्यक्ति के मानसिक, आध्यात्मिक और सामाजिक जीवन में अनेक लाभ होते हैं:
  • हिंदू धार्मिक मंत्र पवित्र उच्चारण, ध्वनियाँ, शब्दांश या शब्दों के समूह हैं उनमें आध्यात्मिक और मनोवैज्ञानिक शक्ति होती है। इन्हें अक्सर दिव्य ऊर्जाओं का आह्वान करने, शांति, ध्यान, सुरक्षा और जीवन में परिवर्तन लाने के लिए जप या ध्यान किया जाता है। मंत्रों की उत्पत्ति प्राचीन वैदिक परंपरा में हुई है, और ध्यान, अनुष्ठान और योग सहित विभिन्न हिंदू प्रथाओं का केंद्र हैं।
  • ओम (ॐ): सार्वभौमिक मंत्र, ब्रह्मांड की मूल ध्वनि का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें सृजन, संरक्षण और विनाश शामिल है। ओम का जाप करने से मन और शरीर में सामंजस्य होता है, हृदय गति कम होती है और शांति आती है।

श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र

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