गणेश चालीसा | Ganesh chalisa lyrics in hindi | shri ganesha

गणेश जी नई शुरुआत, समृद्धि, बुद्धि और सफलता के भगवान के रूप में जाने जाते हैं । वे जीवन से बाधाओं को दूर करने वाले भगवान हैं और उनकी पूजा हर नए कार्य की शुरुआत में की जाती है। गणेश जी के कई नाम हैं, जिनमें गणपति, विनायक, गजानन, गणेश्वर, गौरीनंदन, गौरीपुत्र, श्री गणेश, गणधिपति, सिद्धिविनायक, अष्टविनायक, बुद्धिपति, शुभकर्ता, सुखकर्ता, विघ्नहर्ता आदि

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गणेश चालीसा | Ganesh chalisa lyrics in hindi | shri ganesha

||दोहा||

जय गणपति सदगुण सदन, कवि वर बदन कृपाल | 
विध्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल || 

||चौपाई||

जय जय जय गणपति गणराजू | 
मंगल भरण करण शुभ काजू ||

जै गजबदन सदन सुखदाता | 
विश्व विनायक बुद्धि विधाता || 

वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावन | 
तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन ||

राजत मणि मुक्तन उर माला | 
स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला || 

पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं | 
मोदक भोग सुगंधिंत फूलं ||

सुन्दर पीताम्बर तन साजित | 
चरण पादुका मुनि मन राजित || 

धनि शिव सुवन षडानन भ्राता | 
गौरी लालन विश्व – विख्याता ||

ऋद्धि – सिद्धि तव चंवर सुधारे | 
मूषक वाहन सोहत द्वारे || 

कहौं जन्म शुभ कथा तुम्हारी | 
अति शुचि पावन मंगलकारी ||
 
एक समय गिरिराज कुमारी | 
पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी || 

भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा | 
तब पहुंच्यो तुम धरि द्विज रूपा ||

अतिथि जानी के गौरी सुखारी | 
बहुविधि सेवा करि तुम्हारी || 

अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा | 
मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ||

मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला | 
बिना गर्भ धारण यहि काला || 

गणनायक गुण ज्ञान निधाना | 
पूजित प्रथम रूप भगवाना ||

अस कही अंतर्धान रूप हवै | 
पालना पर स्वरूप हवै || 

बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना | 
लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना ||

सकल मगन, सुखमंगल गावहिं | 
नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं || 

शम्भु, उमा, बहु दान लुटावहिं | 
सुर मुनिजन, सूत देखन आवहिं ||

लखि अति आनंद मंगल साजा | 
देखन भी आए शनि राजा || 

निज अवगुण गुनि शनि मन माही | 
बालक देखन चाहत नहीं ||

गिरिजा कछु मन भेद बढ़ायो | 
उत्सव मोर, न शनि तुही भायो || 

कहत लगे शनि, मन सकुचाई | 
का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई ||

नहि विश्वास, उमा उर भयउ | 
शनि सो बालक देखन कहयऊ || 

पड़तहिं शनि दृग कोण प्रकाशा | 
बालक सर उड़ि गयो नहिं अकाशा ||

गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी | 
सो दुःख दशा गयो नहिं वरणी || 

हाहाकार मच्यौ कैलाशा | 
शनि कीन्हो लखि सुत का नाशा ||

तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधाये | 
कटि चक्र सो गज शिर लाये || 

बालक के धड़ ऊपर धारयो | 
प्राण मंत्र पढ़ि शंकर डारयो ||

नाम गणेश शम्भु तब कीन्हें | 
प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हें || 

बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा | 
पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा ||

चले षडानन, भरमि भुलाई |
रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई || 

चरण मातु – पितु के धर लीन्हें | 
तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें ||

धनि गणेश कही शिव हिये हरषे | 
नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे || 

तुम्हारी महिमा बुद्धि बड़ाई | 
शेष सहसमुख सके न गाई ||

मै मति हीन मलीन दुखारी | 
करहुं कौन विधि विनय तुम्हारी || 

भजत राम सुंदर प्रभुदासा | 
जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा ||

अब प्रभु दया दीना पर कीजे | 
अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजे ||

दोहा 

श्री गणेश यह चालीसा, पाठ करै धर ध्यान | 
नित नव मंगल गृह बसै, लहे जगत सम्मान ||

 
सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश, ऋषि पंचमी दिनेश | 
पूरण चालीसा भयो, मंगल मूर्ती गणेश || 

गणेश चालीसा | Ganesh chalisa lyrics in hindi | shri ganesha

गणेश आरती

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