श्री परम प्रिय अपने हनुमान जी की चालीसा, प्रभु जिन्हें उनकी अटूट भक्ति, अपार शक्ति और निस्वार्थ सेवा के लिए जाना जाता है। हनुमान जी अपने भक्तो सदैव शक्ति प्रदान करते है, उन्होंने भगवान राम की अनन्य भक्ति की |Hanuman chalisa in pdf – हनुमान चालीसा, श्री हनुमते मनः ! 100#
|| श्री हनुमान चालीसा ||
|| दोहा ||
श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि|
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि ||
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार |
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार ||
|| चौपाई ||
जय हनुमान ज्ञान गान सागर |
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ||
रामदूत अतुलित बल धामा |
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ||
महावीर विक्रम बजरंगी |
कुमति निवार सुमति के संगी ||
कंचन वरन विराज सुवेसा |
कानन कुंडल कुंचित केसा ||
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै |
कांधे मूंज जनेऊ साजै ||
शकर सुवन केसरी नंदन |
तेज प्रताप महा जग वंदन ||
विद्यावान् गुणी अति चातुर् |
राम काज करिबे को आतुर ||
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया |
राम लखन सीता मन बसिया ||
सूक्ष्म रूप धरि सियाहिं दिखावा |
विकट रूप धरि लंक जरावा ||
भीम रूप धरि असुर संहारे |
रामचन्द्र के काज संवारे ||
लाय संजीवन लखन जियाये |
श्री रघुबीर हरषि उर लाये ||
रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई |
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ||
सहस बदन तुम्हारो यश गावैं |
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं||
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा |
नारद सारद सहित अहीसा ||
यम कुबेर दिकापाल जहां ते |
कवि कोविद कह सके कहाँ ते ||
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा |
राम मिलाय राजपद दीन्हा ||
तुम्हारो मंत्र विभीषण माना |
लंकेश्वर भये सब जग जाना ||
जुग सहस्त्र योजन पार भानू |
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ||
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं |
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं ||
दुर्गम काज जगत के जेते |
सुगम अनुग्रह तुम्हारे तेते ||
राम दुआरे तुम रखवारे |
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ||
सब सुख लहै तुम्हारी सरना |
तुम रक्षक काहू को डराना ||
आपन तेज सम्हारो आपै |
तीनों लोक हांक ते कांपै ||
भूत पिशाच निकट नहिं आवै |
महाबीर जब नाम सुनावै ||
नासै रोग हरै सब पीरा |
जपत निरंतर हनुमत बीरा ||
संकट ते हनुमान छुड़ावै |
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै ||
सब पर राम तपस्वी राजा |
तिनके काज सकल तुम साजा ||
और मनोरथ जो कोई लावै |
सोइ अमित जीवन फल पावै ||
चारों जुग परताप तुम्हारा |
है परसिद्ध जगत उजियारा ||
साधु संत के तुम रखवारे |
असुर निकंदन राम दुलारे ||
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता |
अस वर दीन जानकी माता ||
राम रसायन तुम्हरे पासा |
सदा रहो रघुपति के दासा ||
तुम्हारे भजन राम को पावै |
जनम जनम के दुःख बिसरावै ||
अंत काल रघुवर पुर जाइ |
जहाँ जन्म हरि – भक्त कहाई||
और देवता चित्त न धरई |
हनुमत सेइ सर्व सुख करई ||
संकट कटै मिटै सब पीरा |
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ||
जय जय जय हनुमान गोसाईं |
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ||
जो शत बार पाठ कर कोई |
छूटहि बंदि महा सुख होई ||
जो यह पढै हनुमान चालीसा |
होय सिद्धि साखी गौरीसा ||
तुलसीदास सदा हरि चेरा |
कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ||
|| दोहा ||
पवनतनय संकट हरण, मंगल मूरति रूप ||
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ||
सियावर रामचंद्र जी की जय
पवनसुत हनुमान जी की जय
- राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम
- राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम
मंगलवार या शनिवार के दिन, विधिपूर्वक 11, 21 या 51 बार हनुमान चालीसा का पाठ करने से मनोकामनाएँ शीघ्र पूर्ण होने की मान्यता है
हनुमान जी के नाम उसका उच्चारण बार-बार करते है तो उस नाम के अर्थ और गुणों का प्रभाव उसके स्वभाव, सोच और कार्यों पर पड़ता है। भक्ति ज्ञान साहस और शक्ति का भाव जागृत होता है।
हनुमान की प्रशंसा ज्ञान और गुण के सागर, राम के दूत और दुखों के नाश करने वाले के रूप में की जाती है। हनुमान चालीसा एक कालातीत आध्यात्मिक रचना के रूप में कायम है, जो अपनी काव्यात्मक सुंदरता, भक्ति की गहराई और लाखों लोगों को मिलने वाली सांत्वना के लिए संजोई जाती है।
जप के दौरान उत्पन्न होने वाले कंपन को चिकित्सीय प्रभाव माना जाता है, जो मन, शरीर और आत्मा को समग्र कल्याण के लिए संरेखित करता है।
Hanuman chalisa in pdf – हनुमान चालीसा