रामायण का मुख उद्देश्य भगवान राम के जीवन से मानवता को आदर्श जीवन के मार्गदर्शन देना है। रामायण की रचना का आधार महर्षि वाल्मिकी हैं। देवर्षि नारद ने वाल्मीकी को रामकथा सुनाई, जिसे सुनाकर वाल्मीकी ने यह महाकाव्य लिखा।
रामायण न केवल एक धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति है, साहित्य और नैतिकता का एक अमृत स्रोत भी है, जो सदियों से मानव जीवन के आदर्शों और मूल्यों को स्थापित करता आ रहा है
श्री रामायण जी | Aarti shree ramayan ji ki | Shree ramayan
श्री रामायण जी की आरती
आरति श्री रामायण जी की |
कीरति कलित ललित सिय पी की ||
गावत ब्रह्मादिक मुनि नारद |
बालमीक बिग्यान बिसारद ||
सक सनकादिक सेष अरु सारद |
बरनि पवनसूत कीरति नीकी ||
आरति श्री रामायण जी की |
कीरति कलित ललित सिय पी की ||
गावत बेद पुरान अष्टदस |
छहो सास्त्र सब ग्रंथन को रस ||
मुनि जन धन संतन को सरबस |
सार अंस संमत सभी की |
आरति श्री रामायण जी की |
कीरति कलित ललित सिय पी की ||
गावत संतत संभु भवानी |
अरु घटसंभव मुनि बिग्यानी ||
ब्यास आदि कबिबर्ज बखानी |
कागभुसुंडि गरुड़ के ही की ||
आरति श्री रामायण जी की |
कीरति कलित ललित सिय पी की ||
कलिमल हरनि बिषय रास फीकी |
सुभग सिंगार मुक्ति जुबती की ||
दलन रोग भव मुरि अमी की |
तात मात सब बिधि तुलसी की ||
आरति श्री रामायण जी की |
कीरति कलित ललित सिय पी की ||
aarati shree raamaayan jee kee |
keerati kalit lalit siy pee kee ||
gaavat brahmaadik muni naarad |
baalameek bigyaan bisaarad ||
sak sanakaadik sesh aru saarad |
barani pavanasoot keerati neekee ||
gaavat bed puraan ashtadas |
chhaho saastr sab granthan ko ras ||
muni jan dhan santan ko sarabas |
saar ans sammat sabhee kee |
gaavat santat sambhu bhavaanee |
aru ghatasambhav muni bigyaanee ||
byaas aadi kabibarj bakhaanee |
kaagabhusundi garud ke hee kee ||
kalimal harani bishay raas pheekee |
subhag singaar mukti jubatee kee ||
dalan rog bhav muri amee kee |
taat maat sab bidhi tulasee kee ||
होइहि सोइ जो राम रचि राखा |
को करि तर्क बढ़ा वेसाखा ||
रामायण संस्कृति के आदिकाव्य महर्षि वाल्मीकी द्वार रचित एक महान महाकाव्य है, जिसमें भगवान श्रीराम के जीवन और उनके आदर्श चरित्र का वर्णन है। । रामायण हिंदू धर्म का एक महत्तवपूर्ण ग्रंथ है, जिसमें कुल लगभाग 24,000 श्लोक और सात कांड (अध्याय) होते हैं: बालकांड, अयोध्याकांड, अरण्यकांड, किष्किंधाकांड, सुंदरकांड, लंकाकांड और उत्तरकांड।
श्री रामायण जी | Aarti shree ramayan ji ki | Shree ramayan